तो कब्जे वाले कश्मीर (मुजफ्फराबाद)में रैली करने से पकिस्तान अपने मकसद में कामयाब हो जाएगा?


तो कब्जे वाले कश्मीर (मुजफ्फराबाद) में रैली करने से पाकिस्तान अपने मकसद में कामयाब हो जाएगा? छठे शुक्रवार को भी कश्मीर घाटी में शांति।
13 सितम्बर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरन खान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर (मुजफ्फराबाद) में रैली कर भारत को युद्ध की चेतावनी दी। जिस स्थान पर इमरान ने रैली की  उसे भारत अपने जम्मू-कश्मीर प्रांत का हिस्सा मानता है। पाकिस्तान का मुजफ्फराबाद क्षेत्र पर 1947 से ही कब्जा है। गत 5 अगस्त को जब भारत में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया तो पाकिस्तान बौखला गया। इस अनुच्छेद की आड़ में ही पाकिस्तान हमारे कश्मीर में आतंक फैला रहा था। अब भारत ने कह दिया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भी लिया जाएगा। इसलिए पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान घबराए हुए हैं। भारत हमला कर मुजफ्फराबाद नहीं छीन ले इसलिए  रैली जैसे आयोजन किए जा रहे हैं। भारतीय थल सेना चीफ बिपिन रावत ने कहा कि यदि सरकार का आदेश होगा तो पाक के कब्जे वाले कश्मीर पर सैन्य कार्यवाही की जाएगी। असल में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत पर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का दबाव नहीं डाल सका। मुस्लिम देशों ने भी कहा कि यह भारत का आतंरिक मामला है।  चूंकि पाकिस्तान हार चुका है, इसलिए मुजफ्फराबाद में रैली कर रहा है। सवाल उठता है कि क्या रैली कर लेने से इमरान मुजफ्फराबाद को बचा पाएंगे? जबकि मुजफ्फराबाद के मुसलमान तो पहले से पाक सेना के अत्याचारों से दु:खी हैं। यदि भारत की ओर से थोड़ी सी भी हवा मिल गई तो मुजफ्फराबाद से पाकिस्तान की सेना को भागना पड़ेगा। असल में पाकिस्तान को अभी कश्मीर घाटी में अशांति होने की उम्मीद है। पाकिस्तान को लगता है कि जब पाबंदियों में ढील दी जाए तो कश्मीरी युवक सड़कों पर आकर दंगे करेंगे। लेकिन पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि अब जम्मू कश्मीर के 80 प्रतिशत क्षेत्र को आतंकियों के साए से अलग कर दिया गया है। जिस 20 प्रतिशत क्षेत्र के युवकों के भरोसे पाकिस्तान बैठा है उसमें भी इमरान खान को समझना चाहिए कि 13 सितम्बर को छठा शुक्रवार भी घाटी में शांति से गुजर गया। कश्मीरियों ने मस्जिदों में सुकून के साथ जुम्मे की नमाज अदा की। 5 अगस्त को 370 हटने के बाद 13 सितबर को छठे जुम्मे की नमाज थी। 5 अगस्त से पहले जिन मस्जिदों में नमाज के बाद भड़काऊ भाषण होते थे, उन मस्जिदों से अब शांति बनाए रखने की अपील हो रही हैं। पाकिस्तान को अब इस हकीकत को समझना होगा। इमरान  खान और पाक सेना प्रमुख बाजवा अपनी इज्जत बचाए रखना चाहते हैं तो उन्हें हमारे जम्मू कश्मीर की ओर नहीं देखना चाहिए। कश्मीर युवक आज नहीं तो कल रास्ते पर आ जाएंगे। यह भारत का आतंरिक मामला है। इसमें पाकिस्तान को दखल देने की कोई जरुरत नहीं है।