शसक्त जीवन जीने वाली विरांगना सायरा बानो ९० साल पहले निकाय हुआ था जिसका निवास लेकिन एक बार भी न देखा पति को फिर भी पूरा जीवन गुजार दी सांस - ससुर के लिए।





सत्य कथा :- क्या कोई कल्पना कर सकता है कि, शादी के बाद कोई महिला 90 साल तक अपने पति को न देख सके. लेकिन यह बिलकुल सच है. राजस्थान के झुंझनूं जिले में एक गांव है धनूरी. जहां रहने वाली सायरा बानो के साथ ऐसा ही हुआ.शुक्रवार को जब 103 साल की होकर सायरा ने इस दुनियां को अलविदा कहा, तब तक उनके निकाह को पूरे 90 साल बीत चुके थे, लेकिन उन्होंने कभी अपने पति को नहीं देखा.दरअसल, सायरा का निकाह धनूरी के ताज मोहम्मद खां से हुआ था. 1939 में निकाह के वक्त सायरा बानो महज 13 वर्ष की थी. उनके शौहर ताज एक फौजी थे. निकाह के बाद बारात वापस धनूरी गांव पहुंची ही थी कि, ताज मोहम्मद खां को फौज का तार मिला- तुरंत ही यूनिट में पहुंचे. ताज या सायरा ने अभी एक दूसरे का मुंह भी नहीं देखा था कि, तार मिलते ही उसी शाम ताज कर्तव्य पालन के लिए गांव से चले गए.वह दूसरे विश्व युद्ध का दौर था, युद्ध में ताज मोहम्मद खां शहीद हो गए. जबकि तब तक सायरा बानो की हाथों की मेहंदी भी नहीं सूखी थी. सायरा ने अपने शौहर को नहीं, बल्कि बाद में केवल उनकी कैप, वर्दी और बेल्ट ही देख पाया. ग्रामीणों के मुताबिक उसी के सहारे सायरा बानों ने अपना पूरा जीवन बिता दिया.सायरा का दूसरा निकाह मुमकिन था लेकिन वह हमेशा इस बात पर गर्व करती रहीं कि उसके सुहाग ने देश सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. इसलिए उन्होंने दूसरा निकाह न किया. यही नहीं आजीवन अपने शहीद पति के माता – पिता की सेवा ही करती रही.बीती रात को सायरा बानो का इंतकाल हो गया. इसकी सूचना पर धनूरी में शोक की लहर छा गई. मलसीसर एसडीएम भी शुक्रवार को गांव पहुंचे और अकीदत के फूल पेश किए.धनूरी को फौजियो का गांव कहा जाता है. यहां तकरीबन हरेक घर किसी न किसी फौजी का है. यहां के 18 बेटे युद्ध में देश के काम आ चुके हैं. फौजियों से भरे गांव में सायरा को वीरांगना कहा जाता है.।ऐसी  महान नारी और शहीद ताज मोहम्मद को नमन करता है.