लखनऊ में नवाबों की होली रंगो भरी , मस्ती अलग सी होती है।

 सम्पादक जय शंकर यादव*

लखनऊ में नवाबों की होली रंगो भरी , मस्ती अलग सी

होती है। 

होली का त्योहार हो और लखनऊ की बात नहीं हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। लखनऊ की होली कितनी शानदार होती है, यह केवल लखनऊ वाले ही जानते हैं। हालांकि यहां पर शानदार की परिभाषा थोड़ी अलग है, यह शानदार उनके लिए है जो थोड़े डेयरिंग हैं, जिन्हें रंग पसंद हैं और जो फुल मस्ती में जीना पसंद करते हैं। यह लेख एक प्रकार से ट्रैवल गाइड है उन लोगों के लिए जो होली पर लखनऊ जा रहे हैं, या होली के मौके पर पहली बार लखनऊ में होंगे, क्योंकि जो लखनऊ के हैं, उनको तो पता ही है कि होली कैसी होती है।

अमीनाबाद-

लखनऊ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर हर पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। चाहे दिवाली हो या होली, ईद हो या क्रिसमस, हर पर्व पर अमीनाबाद, हज़रतगंज, इंदिरानगर, आलमबाग, चौक, आदि बाज़ारों की रौनक बदल जाती है। होली की बात करें तो अमीनाबाद मार्केट इस वक्त खचाखच भरा हुआ मिलेगा। नए कपड़े, पिचकारी, रंग आदि खरीदने वालों का तांता लगा हुआ है इन दिनों। अमीनाबाद की खासियत यही है कि जिस तरह ईद पर पूरी रात यहां आपको रौनक मिलेगी, उसी प्रकार होली में पूरी रात यह मार्केट जश्न में डूबा रहता है।

अमीनाबाद से लेकर फतेहगंज या नक्खास व कैसरबाग तक हर चौराहे पर होलिका दहन होता है और साथ में डीजे नाइट भी। हां, यहां पर हम सलाह देंगे कि बाज़ार में लगे डीजे का लुत्फ उठाइये लेकिन एक लिमिट में, क्योंकि अगले दिन आपको चौक की होली देखने जाना है और उसके लिए सोना भी जरूरी है।

अमीनाबाद से लेकर फतेहगंज या नक्खास व कैसरबाग तक हर चौराहे पर होलिका दहन होता है और साथ में डीजे नाइट भी। हां, यहां पर हम सलाह देंगे कि बाज़ार में लगे डीजे का लुत्फ उठाइये लेकिन एक लिमिट में, क्योंकि अगले दिन आपको चौक की होली देखने जाना है और उसके लिए सोना भी जरूरी है।

चौक में होली की सवारी-

पुराने लखनऊ के चौक क्षेत्र में करीब दो किलोमीटर तक हाथी, घोड़ा, ऊंट आदि की सवारी निकलती है। दरअसल यह परम्परा उस जमाने से है, जब लखनऊ के नवाब होली के दिन जनता के साथ होली खेलने के लिए हाथी पर बैठ कर निकलते थे। आज भी हाथी इस टोली की शान होता है और साथ में इस टोली में मौजूद ढोल नगाड़े पूरे इलाके को मस्ती में सराबोर कर देते हैं। मस्तानों की यह टोली होली के दिन सुबह चौपटियां से निकलती है और चौक चौराहे पर स्थित पार्क तक आती है।

इसी पार्क के पास राजा की ठंडाई, समेत मिठाईयों की कई दुकानें हैं, जहां लस्सी, ठंडाई, गुझिया, आदि मिलती हैं। इस पूरे इलाके में लाउड स्पीकर, डीजे एक दिन पहले से लग जाते हैं।

गलियां जरूर घूमिये-

आम तौर पर देश के हर शहर में लोग होली के मौके पर बाइक या कार लेकर निकल जाते हैं, लखनऊ में भी कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन यहां की गलियों की रौनक बड़ी सड़कों से थोड़ी अलग होती है। सकरी गलियां, जिनके दोनों ओर तीन से चार मंजिला मकान, आपकी होली ट्रिप को मजेदार तब बना देती हैं, जब बाइक या बैदल जाते समय आपके ऊपर रंग आकर गिरता है। अगर आपने पहले कभी लखनऊ में होली नहीं खेली है, तो एक बार चौक, चौपटियां, ठाकुरगंज, फतेहगंज, मकबूलगंज, हुसैनाबाद, कैसरबाग, सदर, आदि इलाकों की गलियों में जरूर जाइयेगा। हर गली में आपको एक अलग ही रंग मिलेगा।

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