*कलाम द ग्रेट न्यूज ब्यूरो चीफ की विशेष रिपोर्ट: *GYAN PRAKASH DUBEY*
*एक देश, एक चुनाव: यदि कोई सरकार 5 साल के बीच में ही गिर गई तो क्या होगा?*
नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2024:
भारत में चुनावी सुधारों के मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) प्रस्ताव ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। सरकार का मानना है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी, विकास कार्यों में बाधाएं कम होंगी और शासन की प्रक्रिया सुगम होगी। दूसरी ओर, विपक्ष इस प्रस्ताव को संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है। इस बीच सबसे अहम सवाल यह है कि यदि किसी सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही गिर जाए तो क्या होगा? आइए इस सवाल का विस्तार से विश्लेषण करते हैं।
---एक देश, एक चुनाव की अवधारणा
एक देश, एक चुनाव का अर्थ है कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसका उद्देश्य बार-बार होने वाले चुनावों से बचना, खर्च कम करना और चुनावी आचार संहिता लागू होने से होने वाली प्रशासनिक रुकावटों को समाप्त करना है। यह विचार नया नहीं है। 1951-52 से लेकर 1967 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही होते थे। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और सरकारों के गिरने की वजह से यह प्रक्रिया टूट गई।
---संविधान संशोधन और विधेयक का प्रस्ताव
‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने के लिए संविधान में कई अहम संशोधन करने होंगे। सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी, जिसने 191 दिनों में विभिन्न राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों से विचार-विमर्श कर 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की। इसके आधार पर दो अहम संशोधन विधेयक तैयार किए गए, जिन्हें संसद में पेश किया गया है।
---विपक्ष का विरोध कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कई अन्य दल इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को अतिरिक्त लाभ देगा। उनकी चिंता यह भी है कि क्षेत्रीय दलों का महत्व कम हो जाएगा और राज्यों के चुनाव केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ जाएंगे।
---क्या होगा यदि सरकार कार्यकाल से पहले गिर जाए?
यह सवाल एक देश, एक चुनाव के सबसे विवादित मुद्दों में से एक है। संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, यदि कोई सरकार अपनी पांच साल की तय मियाद पूरी करने से पहले गिर जाती है तो चुनावी प्रक्रिया को किस प्रकार संचालित किया जाएगा, इसका खाका विधेयक में इस तरह से प्रस्तावित है:
1. Unexpired Term का प्रावधान:
यदि किसी राज्य विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल निर्धारित पांच साल से पहले समाप्त हो जाता है, तो उस सदन के लिए नए चुनाव कराए जाएंगे।
लेकिन नई सरकार का कार्यकाल केवल ‘शेष अवधि’ (Unexpired Term) के लिए होगा। यानी अगले आम चुनाव के समय वह सदन स्वतः भंग हो जाएगा।
उदाहरण:- अगर 2029 में लोकसभा का चुनाव होता है और इसका कार्यकाल 2034 तक निर्धारित है, लेकिन 2031 में लोकसभा भंग हो जाती है, तो नए चुनाव कराए जाएंगे। मगर नई सरकार का कार्यकाल केवल 2034 तक ही रहेगा।
2. राष्ट्रपति और निर्वाचन आयोग की भूमिका:
यदि किसी राज्य में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ कराना संभव नहीं होता, तो निर्वाचन आयोग राष्ट्रपति को चुनाव स्थगित करने की सिफारिश कर सकता है।
राष्ट्रपति की सहमति के बाद उस राज्य में अलग से चुनाव कराए जा सकते हैं।
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संविधान में प्रस्तावित संशोधन:
विधेयक के अनुसार, संविधान में कुछ नए अनुच्छेद जोड़े जाएंगे:
अनुच्छेद 82A:-
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए यह अनुच्छेद जोड़ा जाएगा।
लोकसभा के पहले चुनाव की तारीख को ‘निर्धारित तारीख’ (Appointed Date) माना जाएगा।
यदि इस तारीख के बाद किसी राज्य विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होता है तो वह अगले लोकसभा चुनाव के साथ स्वतः भंग हो जाएगी।
अनुच्छेद 324A:-
स्थानीय निकाय और पंचायतों के चुनाव भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ कराने का प्रावधान होगा।
राज्यों की भूमिका सीमित होगी और मुख्य नियंत्रण केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पास रहेगा।
अनुच्छेद 325:-
पूरे देश के लिए एक ही मतदाता सूची तैयार की जाएगी। यह सूची केंद्रीय निर्वाचन आयोग तैयार करेगा, जबकि राज्य निर्वाचन आयोग केवल परामर्श की भूमिका निभाएंगे।
---एक देश, एक चुनाव के संभावित लाभ:-
सरकार के अनुसार, ‘एक देश, एक चुनाव’ से देश को कई महत्वपूर्ण फायदे हो सकते हैं.
1. वित्तीय बचत:
चुनावों पर होने वाले भारी खर्च में कमी आएगी।
कोविंद समिति की रिपोर्ट के अनुसार, देश की जीडीपी में 1% से 1.5% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
2. विकास कार्यों की निरंतरता:
बार-बार चुनाव आचार संहिता लागू नहीं होगी, जिससे विकास कार्यों में बाधा नहीं आएगी।
3. प्रशासनिक सुविधा:
सुरक्षा बलों, चुनाव कर्मियों और प्रशासनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
4. सहकारी संघवाद को बढ़ावा:
केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय संभव होगा।
5. नीति-निर्माण में स्थिरता:
सरकारें छोटे समय की लोकलुभावन नीतियों के बजाय दीर्घकालिक योजनाओं पर काम कर सकेंगी।
---चुनौतियां और अनिश्चितताएं:
हालांकि प्रस्ताव के लाभ स्पष्ट हैं, लेकिन इसकी चुनौतियां भी कम नहीं हैं:
संविधान संशोधन में कठिनाई: राज्य सरकारों और विधानसभाओं की सहमति जरूरी होगी।
संघीय ढांचे पर असर: राज्यों को स्वतंत्र शासन का अधिकार कमजोर हो सकता है।
राजनीतिक विरोध: क्षेत्रीय दल इस प्रस्ताव को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मान रहे हैं।
---निष्कर्ष:
‘एक देश, एक चुनाव’ भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे बड़े चुनावी सुधारों में से एक हो सकता है। यह प्रस्ताव संसदीय प्रक्रिया में विचाराधीन है और इसे लागू करने के लिए सरकार को व्यापक राजनीतिक सहमति बनानी होगी। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो देश में चुनाव प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा।
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