ठिठुरते लोग, बेसुध आला अधिकारी...

 ठिठुरते लोग, बेसुध आला अधिकारी...

लखनऊ*

लखनऊ की सर्द हवाओं ने पूरे शहर को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन नगर निगम के दावों की "गरमी" कहीं नजर नहीं आ रही। 2 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट अलाव के लिए तय किया गया, लेकिन यह आग शायद "फाइलों" में ही जल रही है lजोन 8 के अंतर्गत लोकबंधु अस्पताल और लेबर अड्डे पर लोग ठंड से कांप रहे हैं, लेकिन अलाव का कोई इंतजाम नहीं। ठिठुरते हुए लोग खुद को दिलासा देते हैं, "शायद अगली ठंड तक आग जलेगी।शील कुमार श्रीवास्तव का घर ठंड में "नगरीय सौभाग्य" का केंद्र बना हुआ है। वहां आग जल रही है, लेकिन मजे की बात यह है कि ज़ोन 4 की आग भी उनके घर तक पहुंचाने की कोशिश हो रही थी। इस विशेष "प्रयास" ने जोन 8 के लोगों की उम्मीदों को और ठंडा कर दिया है।ठिठुरते लोग, बेसुध अधिकारी ,

लखनऊ के आम लोग ठंड में राहत की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारी शायद "गर्म कमरों" में बैठे-बैठे जनता की हालत पर कंबल डाल चुके हैं। 2 करोड़ रुपये का बजट आखिर गया कहां? लकड़ियां कहां हैं? और अलाव क्यों नहीं जल रहा? ये सवाल पूछने वाले नागरिकों को जवाब देने वाला कोई नहीं है।इस खबर के जरिए एक गंभीर संदेश देना जरूरी है। ठंड किसी के लिए महज मौसम हो सकती है, लेकिन यह गरीबों के लिए जानलेवा हो सकती है। जनता का पैसा अगर ठिठुरते लोगों तक न पहुंचे, तो यह न केवल प्रशासन की विफलता है, बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी पर भी सवाल है लखनऊ के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को समझना होगा कि अलाव फाइलों में नहीं, सड़कों पर जलने चाहिए। और श्रीवास्तव जी को यह सोचना चाहिए कि "अपने घर की आग सेकने" के चक्कर में दूसरों की ठंड और न बढ़ाएं।

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