महापौर कार्यालय के पास अनियमित दुकानों से बढ़ता जाम और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल*

महापौर कार्यालय के पास अनियमित दुकानों से बढ़ता जाम और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल*

 *लखनऊ से अखिलेश निगम की रिपोर्ट* 

लखनऊ। राजधानी का यातायात व्यवस्था पहले से ही गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में महापौर के कैंप कार्यालय से महज कुछ कदमों की दूरी पर अवैध रूप से खुल रहीं नई-नई दुकानों ने समस्या को और विकट बना दिया है। यह क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील है, क्योंकि यहाँ थ्री-स्टार होटल और प्रेस क्लब स्थित हैं, जहाँ वीआईपी और उच्च पदस्थ अधिकारियों का नियमित आना-जाना लगा रहता है।

इन दुकानों के खुलने से सड़कों पर अव्यवस्था का आलम है। ग्राहक और दुकानदार बिना किसी नियम का पालन किए वाहन सड़क किनारे खड़े कर देते हैं, जिससे यातायात बाधित हो रहा है। पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने के कारण सड़क का बड़ा हिस्सा अवैध पार्किंग की भेंट चढ़ रहा है। परिणामस्वरूप, इस क्षेत्र में जाम आम हो गया है, जिससे राहगीरों और स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

यातायात बाधा के साथ-साथ यह स्थिति सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। महापौर कार्यालय और वीआईपी क्षेत्र के निकट इस तरह की अराजकता से सुरक्षा में सेंध लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रेस क्लब और थ्री-स्टार होटल जैसे स्थानों पर देश-विदेश से गणमान्य व्यक्तियों का आगमन होता है। ऐसे में जाम और अव्यवस्था किसी आपात स्थिति में सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बन सकती है।

यह समस्या केवल यातायात बाधा तक सीमित नहीं है। यह शहर की सूरत और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करती है। नगर निगम और यातायात विभाग की अनदेखी ने इन दुकानदारों को नियमों का उल्लंघन करने की छूट दे दी है। यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या प्रशासनिक ढीलापन इस समस्या के पीछे की मुख्य वजह है?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन दुकानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से क्षेत्र की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ रही है। उन्होंने महापौर और प्रशासन से अवैध दुकानों को हटाने और यातायात व्यवस्था को सुधारने की अपील की है। उनका मानना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो स्थिति और विकट हो सकती है।

सवाल यह उठता है कि ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में नियमों की अनदेखी क्यों हो रही है? क्या प्रशासन को इन समस्याओं का आभास नहीं है, या फिर इसके पीछे किसी बड़े हित समूह की मिलीभगत है? जनता को उम्मीद है कि नगर निगम और यातायात विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कदम उठाएंगे।

लखनऊ के विकास और सुचारु यातायात के लिए यह जरूरी है कि अवैध दुकानों को हटाया जाए और पार्किंग व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए। इसके साथ ही, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सख्त नियम लागू किए जाएं, ताकि इस क्षेत्र की संवेदनशीलता बनी रहे और नागरिकों को राहत मिले।

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